प्रतापगढ़ में मानसून का आगमन अप्रैल के प्रथम या द्वितीय सप्ताह से शुरु हो जाता है।
बारिश की हल्की-हल्की बूँदा-बादी, ठण्ड हवाओं के तेज झोंके व हर तरफ पेड़ों पर दिखने वाली हरियाली बड़ी ही मनोरम लगती है।
गर्मी का मौसम यहाँ पर मार्च के आखिरी सप्ताह से शुरू हो जाता है। लेकिन कूलर चलाने की नौबत अप्रैल से ही पड़ती है।
मई-जून में गर्मी का प्रकोप हर वर्ग को झेलना पड़ता है।
जुलाई से बारिश की ठण्डी फुहारें आये दिन मौसम को नम करती रहती है। अक्टूबर तक बूंदा-बादी का ये सिलसिला चलता रहता है।
नवम्बर से ठण्ड की सुगबुगाहट शुरु हो जाती है। घर के पंखे बंद होने लगते हैं और स्वेटर व रजाई आलमारी से बाहर आकर छतों पर धूप सेंकने के लिये तैयार हो जाते हैं।
मैदानी व समुद्र तल से अधिक ऊँचाई पर होने के कारण ये इलाका बाढ़ मुक्त है।
जनवरी व फरवरी में कड़ाके की ठण्ड के साथ ही भयानक कोहरा व धुंध सुबह के वक्त राजमार्गों पर वाहनों के लिये समस्या उत्पन्न कर देता है जिससे न चाहते हुये भी लोगों को वाहनों की हैड लाइट जलानी ही पड़ती है।
प्रतापगढ़ जिले का गर्मियों में अधिकतम तापमान लगभग 46 डिग्री व सर्दियों में न्युनतम तापमान लगभग 3 डिग्री के आसपास होता है।
बारिश की हल्की-हल्की बूँदा-बादी, ठण्ड हवाओं के तेज झोंके व हर तरफ पेड़ों पर दिखने वाली हरियाली बड़ी ही मनोरम लगती है।
गर्मी का मौसम यहाँ पर मार्च के आखिरी सप्ताह से शुरू हो जाता है। लेकिन कूलर चलाने की नौबत अप्रैल से ही पड़ती है।
मई-जून में गर्मी का प्रकोप हर वर्ग को झेलना पड़ता है।
जुलाई से बारिश की ठण्डी फुहारें आये दिन मौसम को नम करती रहती है। अक्टूबर तक बूंदा-बादी का ये सिलसिला चलता रहता है।
नवम्बर से ठण्ड की सुगबुगाहट शुरु हो जाती है। घर के पंखे बंद होने लगते हैं और स्वेटर व रजाई आलमारी से बाहर आकर छतों पर धूप सेंकने के लिये तैयार हो जाते हैं।
मैदानी व समुद्र तल से अधिक ऊँचाई पर होने के कारण ये इलाका बाढ़ मुक्त है।
जनवरी व फरवरी में कड़ाके की ठण्ड के साथ ही भयानक कोहरा व धुंध सुबह के वक्त राजमार्गों पर वाहनों के लिये समस्या उत्पन्न कर देता है जिससे न चाहते हुये भी लोगों को वाहनों की हैड लाइट जलानी ही पड़ती है।
प्रतापगढ़ जिले का गर्मियों में अधिकतम तापमान लगभग 46 डिग्री व सर्दियों में न्युनतम तापमान लगभग 3 डिग्री के आसपास होता है।