प्रतापगढ़ जनपद का परिचय ( Introduction of Pratapgarh District )
वैश्विक स्तर पर प्रतापगढ़ जनपद की स्थिती
सन 2023 में इस पृथ्वी पर प्रमाणित रुप से कुल 195 देश मौजूद हैं जिनकी कुल
जनसंख्या है लगभग 800 करोड़ । जिसमें से 138 करोड लोग रहते हैं भारत में। यह
जनसंख्या भारत के 28 राज्यों एवं 8 केंद्र शासित प्रदेशों में निवास करती है।
वर्तमान जनगणना के आधार पर लगभग 24 करोड लोग उत्तर प्रदेश में रहते हैं। पूरे
उत्तर प्रदेश को 18 मण्डल अर्थात डिवीजन में विभाजित किया गया है। जिसमें
प्रयागराज डिवीजन में 4 जिले आते हैं- प्रयागराज, फतेहपुर, कौशांबी एवं प्रतापगढ़।
प्रतापगढ़ को उत्तर प्रदेश का 72वां जिला कहा जाता है । 2022 में इसकी अनुमानित
जनसंख्या होगी लगभग 37 लाख।
प्रतापगढ़ जनपद का नामकरण
राजा प्रताप बहादुर सिंह (1628-1682) ने रामपुर के निकट एक पुराने कस्बे अरोर में
एक किले की स्थापना की। उन्हीं के नाम पर उस किले का नाम पड़ा प्रतापगढ़ । धीरे-धीरे
उस क़िले के आसपास का स्थान भी प्रतापगढ़ के नाम से ही पुकारा जाने लगा। भारत की
आजादी के बाद जब कई रियासतों को मिलाकर जिलों का पुनर्गठन किया जा रहा था तब सिटी
प्रतापगढ़, भदरी कुंडा एवं पट्टी इन सभी रियासतों को एक करके प्रतापगढ़ जिले को
अस्तित्व मिला।
प्रतापगढ़ के प्रमुख राजघराने
प्रतापगढ़ की राजनीति में यहाँ के तीन प्रमुख राजघराने सक्रिय रहे हैं। इनमें से
पहला नाम है बिसेन राजपूत राजा बजरंग बहादुर सिंह का परिवार है जिनके वंशज रघुराज
प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया हैं। राजा बजरंग बहादुर सिंह हिमाचल प्रदेश के गवर्नर
थे तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे। दूसरा परिवार सोमवंशी राजपूत राजा
प्रताप बहादुर सिंह का है। जिनके खानदान में राजा अभय सिंह, राजा अजीत प्रताप
सिंह एवं राजा अनिल सिंह प्रमुख हैं। तीसरा परिवार राजा दिनेश सिंह का है जो
पूर्व में भारत के वाणिज्य मंत्री और विदेश मंत्री जैसे पदों पर सुशोभित रहे।
इनकी रियासत कालाकाकर क्षेत्र है। दिनेश सिंह की पुत्री राजकुमारी रत्ना सिंह भी
राजनीति में हैं तथा प्रतापगढ़ की सांसद रह चुकी हैं। राजा दिनेश सिंह के चाचा
कुँवर बृजेश सिंह भी एक कम्युनिस्ट नेता थे।
प्रतापगढ़ के मुख्यालय की स्थापना
सन 1858 में अंग्रेजों ने स्थानीय राजाओं से कर वसूलने एवं क्षेत्र पर अपना
नियंत्रण स्थापित करने के लिए हर रियासत के निकट एक मुख्यालय की स्थापना की।
प्रतापगढ़ में उन्होंने सई नदी के किनारे बेला नामक क्षेत्र का चुनाव किया।
सई नदी के किनारे मां बेला देवी के मंदिर के कारण इस स्थान को बेल्हा क्षेत्र
के नाम से जाना जाता था। जो आज भी प्रचलन में है।
बेल्हा देवी के मंदिर निर्माण की कहानी
इस मंदिर की स्थापना के विषय में एक मत यह भी है कि अंग्रेज जब यहां पर सई नदी के
ऊपर पुल बनाने का प्रयास कर रहे थे तो निर्माण के दौरान कुछ मजदूरों के ऊपर पुल
का कुछ भाग गिर जाने से उनकी मृत्यु हो गई जिसकी वजह से पुल निर्माण के सभी मजदूर
भाग खड़े हुए। बाद में अंग्रेजों ने उनके मनोबल को बढ़ाने के लिए स्थानीय लोगों
से सलाह लेकर यहां पर बेल्हा देवी के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और पूजा
पाठ के साथ पुल के निर्माण की प्रक्रिया पूर्ण हुई।
बेल्हा देवी का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं के आधार पर वन गमन के समय श्रीराम ने यहीं से सई नदी को पार करके बेला के फूलों वाले जंगल में, विश्राम किया तथा एक शिवलिंग की स्थापना
करके नदी के किनारे आगे बढ़ते हुए मोहनगंज में स्थित देवघाट तक पहुंचे। यहाँ एक
रात्रि विश्राम करके वह चित्रकूट जाने के लिए श्रृंगवेरपुर की तरफ चले
गए।
प्रतापगढ़ जनपद की तहसील
पूरे जिले की 3730 स्क्वायर किलोमीटर भूमि का लेखा-जोखा रखने के लिए इसे चार
तहसीलों में बांट दिया गया है। सदर तहसील, पट्टी तहसील, रानीगंज तहसील, लालगंज
तहसील एवं कुंडा तहसील।
प्रतापगढ़ जनपद के विकास खंड
गांव एवं नगरों में वास करने वाले लोगों के लिए नाली, सड़क, खड़ंजा इत्यादि के
विकास के लिए जनपद को 17 ब्लॉक में बांट दिया गया है। जिनके नाम हैं आसपुर
देवसरा, पट्टी,मंगरौरा, बेलखरनाथ, सँड़वा चंद्रिका, सदर-प्रतापगढ़, शिवगढ़, गौरा,
सांगीपुर, लालगंज,लक्ष्मणपुर, मांधाता,रामपुर-संग्रामगढ़, बाबागंज, बिहार,कालाकांकर
एवं कुंडा।
प्रतापगढ़ जनपद की विधान सभा
मुख्यमंत्री के चुनाव एवं प्रदेश स्तर पर कानून को बनाने एवं योजनाओं को लागू
करने के लिए इसे 7 विधानसभाओं में बांट दिया गया है। पट्टी विधानसभा,
सदर-प्रतापगढ़ विधानसभा, रानीगंज विधानसभा, रामपुर खास विधानसभा, विश्वनाथगंज
विधानसभा, बाबागंज विधानसभा एवं कुंडा विधानसभा।
प्रतापगढ़ जनपद के नगर पंचायत
वे सभी ग्राम सभाएं जिनकी जनसंख्या 12000 से ऊपर और 40000 से कम हो उनको नगर
पंचायत की श्रेणी में रखा जाता है ताकि अधिक जनसंख्या होने के कारण क्षेत्र की
समस्याओं का स्थानीय स्तर पर समाधान किया जा सके। जिसके लिए जनपद में 18 नगर
पंचायतों का गठन किया गया है। जिसमें प्रतापगढ़ सिटी नगर पंचायत, कोंहडोर नगर
पंचायत, गड़वारा नगर पंचायत, कटरा मेदनीगंज नगर पंचायत, पृथ्वीगंज नगर पंचायत,
रानीगंज नगर पंचायत, सुवंशा नगर पंचायत,अंतु नगर पंचायत, लालगंज नगर पंचायत,
रामगंज नगर पंचायत, मानिकपुर नगर पंचायत, पट्टी नगर पंचायत, ढकवा नगर पंचायत,
मान्धाता नगर पंचायत,कटरा गुलाब सिंह नगर पंचायत डेरवा नगर पंचायत, हीरागंज नगर
पंचायत एवं कुंडा नगर पंचायत। शहर का वह क्षेत्र जिसकी आबादी 20 हजार से अधिक तथा
एक लाख से कम हो वहां के कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए नगर पालिका परिषद
की स्थापना की जाती है। प्रतापगढ़ शहर के रख रखाव की जिम्मेदारी बेल्हा नगर
पालिका परिषद की है। सभी नगर पंचायत एवं नगर पालिका परिषद को वार्डों में बांट
दिया जाता है और हर वार्ड से एक व्यक्ति का चुनाव होता है।
प्रतापगढ़ जनपद के सभी पुलिस स्टेशन या थाना
किसी भी जनपद की सुरक्षा व्यवस्था एवं कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए उसे कई
थानों में बांट दिया जाता है हर थाने के अंदर कई पुलिस चौकियां होती हैं जहां से
ग्रामसभा स्तर तक पुलिस समस्याओं का निपटारा करती है। वर्तमान में प्रतापगढ़ जिले
में कुल 24 थानों की स्थापना की गई है। कोतवाली नगर, महिला थाना, कोहडौर थाना,
अन्तु थाना, रानीगंज थाना, मानधाता थाना, पट्टी थाना, कन्धई थाना, फतनपुर थाना,
आसपुर देवसरा थाना, जेठवारा थाना, महेशगंज थाना, बाघराय थाना, लालगंज थाना,
संग्रामगढ़ थाना, सांगीपुर थाना, उदयपुर थाना, कुण्डा थाना, मानिकपुर थाना,
नवाबगंज थाना, हथिगवां थाना, देल्हूपुर थाना, दिलीपपुर थाना एवं लीलापुर
थाना।
प्रतापगढ़ जनपद के सभी रेलवे स्टेशन
जिले में विकास कार्यों को गति देने के लिए एवं लोगों के लिए आवागमन को सुगम
बनाने के लिए हर क्षेत्र में रेलवे मार्ग का निर्माण करके रेलवे स्टेशनों की
स्थापना की गई। वर्तमान में प्रतापगढ़ में कुल 17 रेलवे स्टेशन हैं जिसमें दो
हाल्ट भी शामिल हैं। लखनऊ-प्रयागराज मार्ग पर अंतू स्टेशन, जगेसरगंज स्टेशन,
चिलबिला जंक्शन, प्रतापगढ़ जंक्शन, खुंडौर स्टेशन, भूपियामऊ स्टेशन, विश्वनाथगंज
स्टेशन, धीरगंज हाल्ट प्रतापगढ़-जौनपुर-वाराणसी मार्ग पर पिरथीगंज स्टेशन, बराही
देवी स्टेशन, गौरा स्टेशन,सुवंशा स्टेशन प्रयागराज-ऊंचाहार-लखनऊ मार्ग पर भदरी
स्टेशन, कुंडा हरनामगंज,गढ़ी मानिकपुर स्टेशन एवं परियाँवा-कालाकांकर रोड स्टेशन
एवं सुल्तानपुर जौनपुर मार्ग पर एक मात्र स्टेशन नीमा गोपालपुर हाल्ट।