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इतिहास (History) प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश के 70वें जिले के रूप में जाना जाता है। इसे लोग बेल्हा भी कहते हैं क्योंकि यहां बेल्हा देवी मंदिर है जो कि सई नहीं के किनारे बना है। ये जिला फैजाबाद डिवीज़न का एक हिस्सा है जिसका नाम इसके मुख्यालय शहर बेल्हा-प्रतापगढ़ के नाम पर रखा गया है।
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भौगोलिकता (Geography) प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख जिला है। जो सन् 1858 में अस्तित्व में आया। प्रतापगढ़-कस्बा जिले का मुख्यालय है। ये जिला प्रयागराज मंडल का एक हिस्सा है। जी.पी.यस. मैप पर ये जिला 25° 34' एवं 26° 11' उत्तरी अक्षांश (latitudes) एवं 81° 19' एवं 82° 27' पूर्व देशांतर (longitudes)
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संस्कृति (Culture) प्रतापगढ़ में आपको हर वर्ग के लोग मिल जायेंगे। अमीर, गरीब, अनपढ़, पढ़े-लिखे, किसान इत्यादि। धार्मिक विविधता भी यहाँ पर आपको बहुतायत में देखने को मिल जायेगी। जैसे- हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख व ईसाई। हिन्दुओं का वर्चस्व प्रतापगढ़ में शुरु से ही रहा है। जिसमें ठाकुरों व पण्डितों का दबदबा
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भाषा (Language) प्रतापगढ़ में मुख्यत: तीन तरह की भाषा अधिकता में बोली जाती है। पहली भाषा है- अवधी। जिसे यहाँ रहने वाले ज्यादातर लोग बोलते हैं। पड़े-लिखे हो या अनपढ़, सभी इस भाषा का बहुलता से प्रयोग करते हैं। ये यहाँ की स्थानीय भाषा है। जैसे- मुझे भूख लगी है। इस खड़ी बोली का अवधी रूप होगा-
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मानसून (Climate) प्रतापगढ़ में मानसून का आगमन अप्रैल के प्रथम या द्वितीय सप्ताह से शुरु हो जाता है। बारिश की हल्की-हल्की बूँदा-बादी, ठण्ड हवाओं के तेज झोंके व हर तरफ पेड़ों पर दिखने वाली हरियाली बड़ी ही मनोरम लगती है। गर्मी का मौसम यहाँ पर मार्च के आखिरी सप्ताह से शुरू हो जाता है। लेकिन कूलर चलाने की नौबत....
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यातायात (Transport) प्रतापगढ़ जिले में मुख्य रूप से रिक्शा, टैम्पो, साइकिल, मोटरसाइकिल, बस, ट्रक इत्यादि प्रमुख वाहन हैं। स्थानीय लोगों को एक जगह से दूसरे जगह तक जाने के लिये मानव चलित रिक्शा व टैम्पो, हर चौराहे, नुक्कड़ और गली-मुहल्ले में मिल जाते हैं। गाँव-गाँव में पक्की सड़कों का निर्माण हो चुका है
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पड़ोसी जिला (Neighbor District) प्रतापगढ़ जिला, उत्तर-प्रदेश राज्य के प्रमुख जिलों में से एक है। ये इलाहाबाद मंडल का एक हिस्सा है। जो पाँच जिलों से घिरा हुआ है। सुल्तानपुर- जो प्रतापगढ़ से लगभग 35 किलोमीटर दूर उत्तर में है। ये इलाहाबाद-फैज़ाबाद रोड पर स्थित है। इलाहाबाद- प्रतापगढ़ से मात्र 60 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में है। जो प्रतापगढ़ का मुख्य व्यापारिक केन्द्र है।
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प्रमुख स्थल (Key Places) प्रतापगढ़ का सबसे प्रसिद्ध स्थल है जगद गुरू कृपालू महाराज द्वारा निर्मित मनगढ़ का भव्य मंदिर। जो कुण्डा में स्थित है। इसके अतिरिक्त शनि देव का दुर्लभ मंदिर विश्वनाथगंज में स्थित है जहाँ हर शनिवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। इस जनपद का दूसरा नाम बेल्हा भी है जो इस जिले के केन्द्र में स्थित सई नदी के किनारे बना हुआ बेल्हा देवी के प्राचीन और
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लोकप्रिय व्यक्ति (Popular Person) भारत व सम्पूर्ण विश्व में प्रतापगढ़ जिले का नाम कुछ प्रमुख व्यक्तियों के क्रिया-कलापों से हुआ। सर्वाधिक चर्चित लोगों में हरिवंश राय बच्चन का नाम लिया जा सकता है जो कालजयी कवि थे। उनकी लिखी हुई मधुशाला कौन नहीं जानता। वही कुण्डा के राजा भईया ने अपने राजनीतिक दबदबे से सम्पूर्ण विश्व में प्रतापगढ़ की एक दबंग छवि प्रस्तुत की।
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पारम्परिक खेल (Traditional Sports) खेल हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। जीवन का आरम्भ शैशवकाल से होता है और तभी से खेल की भी शुरूवात होती है। माँ बच्चे को बहलाने के लिए तरह-तरह के खेल-खिलौने जुटाने लगती है। इस तरह हमारे जीवन में खेल भावना का बीजारोपण हो जाता है और धीरे-धीरे उम्र के साथ खेल के प्रति अभिरुचि
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पारम्परिक व्यंजन (Traditional Dishes) सुस्वाद व्यंजनों के प्रति आकर्षण सहज एवं सर्व कालिक है। पंजतारा होटलों में तो सारी दुनिया में प्रचलित स्वादिष्ट व्यंजनों की उपलब्धता रहती है। भारतीय व्यंजन, चाइनीजडिश, गुजराती व्यंजन आदि के स्वाद तो अब देश के विभिन्न जगहों एवं कस्बों में उपलब्ध हैं और उन पर अच्छी खासी भीड़ भी प्रायः बनी रहती है।
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अन्य (Others) प्रतापगढ़ जिले में कठपुतली का खेल काफी लोकप्रिय रहा है। सन् 1952 में लोक कला कठपुतली को प्रतापगढ़ जनपद में राम निरंजन लाल श्रीवास्तव ने एक नया आयाम दिया। रानीगंज तहसील के नरहरपुर गाँव में जन्में इन्होंने कठपुतली में उच्च प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद इन्होंने गुलाबो-सिताबो
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